Friday, 30 January 2015

Organic Awareness Program By.Pradeep Rathore Mob.09452214232

Organic Awareness Program 
By.Pradeep Rathore (Founder of IDF Group) Mob.09452214232

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Krishi
भारत एक कृषि प्रधान तथा कृषि देश की अर्थ व्यवस्था का प्रमुख साधन है । भोजन मनष्य की मूलभूत आवश्यकता है और अन्न से ही जीवन है, इसकी पूर्ति के लिए 60 के दशक में हरित क्रान्ति लाई गई ओर अधिक अन्न उपजाओं का नारा दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप रासायनिक उर्वरकों ओर कीटनाशकों का अन्धा धुन्ध व असन्तुलित उपयोग प्रारम्भ हुआ । इससे उत्पादन तो बढ़ा उत्पादकता में स्थिरता आने के कारण पूर्व वर्षो की उत्पादन वृध्दि पर असर पड़ने लगा ।
पिछले कुछ समय से रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकाें के अन्धाधुन्ध व असन्तुलित प्रयोग का प्रभाव मनुष्य व पशुओं के स्वास्थ्य पर नहीं हुआ, बल्कि इसका कुप्रभाव पानी, भूमि एंव पर्यावरण पर भी स्पष्ट दिखाई देने लगा है ।
रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का भूमि में प्रयोग, भूमि को मृत माध्यम मान कर किया गया है । अत: भूमि के स्वास्थ्य की रक्षा करके खेती की ऐसी प्रणाली जिसमें भूमि को एक जीवित सजीव माध्यम माना जाए, क्योंकि मृदा में असंख्य जीव रहते हैं जो कि एक दूसरे के पूरक तो होते ही हैं साथ में पौधों की बढ़वार हेतु पोषक तत्व भी उपलब्ध करवाते हैं । अत: जैविक खेती पध्दति में उपलब्ध अन्य कृषक हितैषी जीवों के मध्य सामंजस्य रख कर खेती करना है ।
मिट्टी पौधों में वृध्दि एवं विकास का माध्यम है । पौधों के समुचित विकास एवं फसलोत्पादन के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज, खाद एवं उर्वरा होना नितांत आवश्यक है। 
जैविक खेती क्या है:-
जैविक खेती एक ऐसी पध्दति है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों तथा खरपतवारनाशियों के स्थान पर जीवांश खाद पोषक तत्वों (गोबर की खाद कम्पोस्ट, हरी खाद, जीवणु कल्चर, जैविक खाद आदि) जैव नाशियों (बायो-पैस्टीसाईड) व बायो एजैन्ट जैसे क्राईसोपा आदि का उपयोग किया जाता है, जिससे न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है, बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता तथा कृषि लागत घटने व उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ने से कृषक को अधिक लाभ भी मिलता है ।
जैविक खेती वह सदाबहार कृषि पध्दति है, जो पर्यावरण की शुध्दता, जल व वायु की शुध्दता, भूमि का प्राकृतिक स्वरूप बनाने वाली, जल धारण क्षमता बढ़ाने वाली, धैर्यशील कृत संकल्पित होते हुए रसायनों का उपयोग आवश्यकता अनुसार कम से कम करते हुए कृषक को कम लागत से दीर्घकालीन स्थिर व अच्छी गुणवत्ता वाली पारम्परिक पध्दति है। 
जैविक खेती के सिध्दांत:-
1.प्रकृति की धरोहर है ।
2.प्रत्येक जीव के लिए मृदा ही स्त्रोत है ।
3.हमें मृदा को पोषण देना है न कि पौधे को जिसे हम उगाना चाहते है ।
4.उर्जा प्राप्त करने वाली लागत में पूर्ण स्वतन्त्रता ।
5.परिस्थितिकी का पुनरूध्दार ।
जैविक खेती का उद्दश्य:-
इस प्रकार की खेती करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि रासायनों उर्वरकों का उपयोग न हो तथा इसके स्थान पर जैविक उत्पाद का उपयोग अधिक से अधिक हो लेकिन वर्तमान में बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए तुरन्त उत्पादन में कमी न हो अत: इसे (रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को) वर्ष प्रति वर्ष चरणों में कम करते हुए जैविक उत्पादों को ही प्रोत्साहित करना है। जैविक खेती का प्रारूप निम्नलिखित प्रमुख क्रियाओं के क्रियान्वित करने से प्राप्त किया जा सकता है ।
1.कार्वनिक खादों का उपयोग ।
2.जीवाणु खादाें का प्रयोग ।
3.फसल अवशेषों का उचित उपयोग
4.जैविक तरीकों द्वारा कीट व रोग नियंत्रण
5.फसल चक्र में दलहनी फसलों को अपनाना ।
6.मृदा संरक्षण क्रियाएं अपनाना ।
जैविक खेती के महत्व:-
1.भूमि की उर्वरा शक्ति में टिकाउपन
2.जैविक खेती प्रदुषण रहित
3.कम पानी की आवश्यकता
4.पशुओं का अधिक महत्व
5.फसल अवशेषों को खपाने की समस्या नहीं ।
6.अच्छी गुणवत्ता की पैदावार ।
7.कृषि मित्रजीव सुरक्षित एवं संख्या में बढोतरी ।
8.स्वास्थ्य में सुधार
9.कम लागत
10.अधिक लाभ
जैविक खेती के मार्ग में बाधाएं:-
1.भूमि संसाधनों को जैविक खेती से रासायनिक में बदलने में अधिक समय नहीं लगता लेकिन रासायनिक से जैविक में जाने में समय लगता है ।
2.शुरूआती समय में उत्पादन में कुछ गिरावट आ सकती है, जो कि किसान सहन नहीं करते है । अत: इस हेतु उन्हें अलग से प्रोत्साहन देना जरूरी है।
3.आधुनिक रासायनिक खेती ने मृदा में उपस्थिति सूक्ष्म जीवाणुओं का नष्ट कर दिया, अत: उनके पुन: निमार्ण में 3-4 वर्ष लग सकते हैं । 
 भूमि की उपजाऊ शक्ति : जैविक खाद

भारत में शताब्दियों से गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद व जैविक खाद का प्रयोग विभिन्न फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। इस समय ऐसी कृषि विधियों की आवश्यकता है जिससे अधिक से अधिक पैदावार मिल तथा मिट्टी की गुणवत्ताा प्रभावित न हो, रासायनिक खादों के साथ-साथ जैविक खादों के उपयोग से मिट्टी की उत्पादन क्षमता को बनाए रखा जा सकता है। जिन क्षेत्रों में रासायनिक खादों का ज्यादा प्रयोग हो रहा है वहां इनका प्रयोग कम करके जैविक खादों का प्रयोग बढाने की आवश्यकता है। जैविक खेती के लिए जैविक खादों का प्रयोग अवि आवश्यक है क्योंकि जैविक कृषि में रासायनिक खादों का प्रयोग वर्जित है। ऐसी स्थिति में पौंधों को पोषक तत्व देने के लिए जैविक खादों, हरी खाद व फसल चक्र में जाना अब आवश्यक हो गया है। थोड़ी सी मेहनत व टैक्नोलॉजी का प्रयोग करने से जैविक खाद तैयार की जा सकती है जिसमें पोषक तत्व अधिक होंगे और उसे खेत में डालने से किसी प्रकार की हानि नहीं होगी और फसलों की पैदावार भी बढ़ेगी।
अच्छी जैविक खाद तैयार करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान देना आवश्यक है :
1-जैविक खाद बनाने के लिए पौधों के अवशेष, गोबर, जानवरों का बचा हुआ चारा आदि सभी बस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए।
2-जैविक खाद बनाने के लिए 10 फुट लम्बा, 4 फुट चौड़ा व 3 फुट गहरा गङ्ढा करना चाहिए। सारे जैविक पदार्थों को अच्दी तरह मिलाकर गङ्ढें को भरना चाहिए तथा उपयुक्त पानी डाल देना चाहिए।
3-गङ्ढे में पदार्थों को 30 दिन के बाद अच्छी तरह पलटना चाहिए और उचित मात्रा में नमी रखनी चाहिए। यदि नमी कम है तो पलटते समय पानी डाला जा सकता है। पलटने की क्रिया से जैविक पदार्थ जल्दी सड़ते हैं और खाद में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है।
4-इस तरह यह खाद 3 महीने में बन कर तैयार हो जाती है।
खेत में खाद डालकर शीघ्र ही मिट्टी में मिला देना चाहिए। ढेरियों को खेत में काफी समय छोड़ने से नत्रजन की हानि होती है जिससे खाद की गुणवत्ताा में कमी आती है। गोबर की खाद में नत्रजन की मात्रा कम होती है और उसकी गुणवत्ताा बढ़ाने के लिए अनुसंधान कार्यों से कुछ विधियां विकसित की गई हैं। जैविक खाद में फास्फोरस की मात्रा बढ़ाने के लिए रॉक फास्फेट का प्रयोग किया जा सकता है। 100 किलाग्राम गोबर में 2 किलोग्राम रॉक फास्फेट आरम्भ में अच्छी तरह मिलाकर सड़ने दिया जाता है। तीन महीने में इस खाद में फास्फोरस की मात्रा लगभग 3 प्रतिशत हो जाती है। इस विधि से फास्फोरस की घुलनशीलता बढ़ती है और विभिन्न फसलों में रासायनिक फास्फोरस युक्त खादों का प्रयोग नहीं करना पड़ता। अगर खाद बनाते समय केंचुओं का प्रयोग कर लिया जाए तो यह जल्दी बनकर तैयार हो जाती है और इस खाद और इस खाद में नत्रजन की मात्रा अधिक होती है। खाद बनाते समय फास्फोटिका का एक पैकेट व एजोटोबैक्टर जीवाणु खाद का एक पैकेट एक टन खाद में डाल दिया जाए तो फास्फोरस को घुलनशील बनाने वाले जीवाणु व एजोटोबैक्टर जीवाणु पनपते हैं और खाद में नत्रजन व फास्फोरस की मात्रा आधिक होती है। इस जीवाणुयुक्त खाद के प्रयोग से पौधों का विकास अच्छा होता है। इस तरह वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करके अच्छी गुणवत्ताा वाली जैविक खाद बनाई जा सकती है जिसमें ज्यादा लाभकारी तत्व उपस्थित होते हैं।
इसके प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकती है। जैविक खाद किसानों के यहां उपलब्ध संसाधनों के प्रयोग से आसानी से बनाई जा सकती है। रासायनिक खादों का प्रयोग कम करके और जैविक खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करके हम अपने संसाधनों का सही उपयोग कर कृषि उपज में बढ़ोत्तारी कर सकते हैं और जमीन को खराब होने से बचाया जा सकता है। 
जैविक खादों के प्रयोग से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं :
1-रासायनिक खाद के साथ-साथ जैविक खादों के उपयोग से पैदावार अधिक मिलती है तथा भूमि की उपजाऊ शक्ति भी कम नहीं होती।
2-इससे सूक्ष्म तत्वों की कमी पूरी होती है जो फसलों के लिए अति आवश्यक है।
3-इसके उपयोग से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है जिससे उसकी उपजाऊ शक्ति बढ़ती है।
4-जैविक खाद से मिट्टी में लाभदायाक सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है जो फसलों को उपयोगी तत्व उपलब्ध करवाते हैं।
5-जैविक खादों के उपयोग से जल व वायु प्रदूषण नहीं होता है जो कि सामान्य जीवन के लिए अति आवश्यक है।
 ग्रामीण क्षेत्रों में लोग प्राय: फसल अवशेषों और पशुओं के मलमूत्र को नष्ट होने देते हैं। गोबर व अन्य अवशेषों का सड़कों या गलियों में ढेर लगा दिया जाता है या गोबर के उपले बनाकर जला दिया जाता है। इस प्रकार यह अवशेष सड़ते-गलते नहीं हैं और वातावरण प्रदूषित होता है। इन अवशेषों को खेत में डालने से दीमक, खरपतवार व पौध रोगों को बढ़ावा मिलता है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे  
Pradeep Rathore Mob.09452214232 ,Jhansi (U.P.) 
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Thursday, 22 January 2015

Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana Awareness Mission By.Pradeep Rathore Mob.09452214232

Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana (PMJDY) By. Pradeep Rathore (Founder of IDF Group) Mob.09452214232
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प्रधानमंत्री जन-धन योजना मिशन
प्रधानमंत्री जन-धन योजना का उद्देश्य वंचित वर्गो जैसे कमजोर वर्गो और कम आय वर्गो को विभिन्न वित्तीय सेवाएं जैसे मूल बचत बैंक खाते की उपलब्धता, आवश्यकता आधारित ऋण की उपलब्धता, विप्रेषण सुविधा, बीमा तथा पेंशन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना है। किफ़ायती लागत पर व्यापक प्रसार केवल प्रौद्योगिकी के प्रभारी उपयोग से ही संभव है।
पीएमजेडीवाई वित्तीय समावेशन संबंधी राष्ट्रीय मिशन है जिसमें देश के सभी परिवारों के व्यापक वित्तीय समावेशन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण शामिल है इस योजना में प्रत्येक परिवार के लिए कम से कम एक मूल बैंकिंग खाता, वित्तीय साक्षारता, ऋण की उपलब्धता, बीमा तथा पेंशन सुविधा सहित सभी बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने की अभिकल्पना की गयी है । इसके अलावा, लाभार्थियों को रूपे डेबिट कार्ड दिया जाएगा जिसमे एक लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर शामिल है। इस योजना में सभी सरकारी (केन्द्र / राज्य / स्थानीय नीकाय से प्राप्त होने वाले ) लाभो को लाभार्थियों के खातो में प्रणालीकृत किए जाने तथा केन्द्र सरकार की प्रत्यक्ष लाभांतरण (डीबीटी) योजना को आगे बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। कमजोर सम्पर्क, ऑनलाइन लेन देन जैसे प्रौद्योगिकीय मामलो का समाधान किया जाएगा। टेलीकॉम आपरेटरों के जरिये मोबाइल बैंकिंग तथा नकद आहरण केन्द्र के रूप में उनके स्थापित केन्द्रो का इस योजना के अंतर्गत वित्तीय समावेशन हेतु प्रयोग किए जाने की योजना है। इसके अलावा, देश के युवाओं को भी इस मिशन पद्धति वाले कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

Monday, 19 January 2015

Health Awareness Programs By. Pradeep Rathore (Founder of IDF Group) Mob.09452214232

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Subject --:Proteins:--
भोजन का मुख्य आवश्यक तत्व है- Proteins। Proteins मानव शरीर के विकास और वृद्धि में सहायक पोषक तत्व है। यही तत्व शरीर की कोशिकाओं अर्थात् मांस आदि का निर्माण करता है। इसकी प्रचुर मात्रा भोजन में रहने से शरीर की कोशिकाओं का निर्माण और मरम्मत आदि का कार्य सुचारू रूप से जीवन भर चलता रहता हैं। हमारे शरीर के सभी प्रक्रियाओ को अलग-अलग मात्रा में और अलग-अलग समय पर Proteins कि जरुरत पड़ती है। शरीर हर समय Proteins का इस्तेमाल करते रहता है और हमेशा इसकी पूर्ति करना आवश्यक है।

Proteins में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा गंधक के अंश मिले रहते हैं। इसमें फास्फोरस भी हो सकता है। Proteins में नाइट्रोजन की अधिकता रहती है। Fats और Carbohydrates कि तरह हमारा शरीर Proteins को storage नहीं कर पाता है इसलिए स्वस्थ और निरोगी रहने के लिए रोज आहार में Proteins लेना आवश्यक है।
रोजाना आहार में Proteins कि कितनी मात्रा लेना आवश्यक़ है ?

मानव शरीर में कई प्रकार के Proteins पाये जाते है। हालांकि हमारा शरीर अधिकांश Amino acids, या Proteins का निर्माण कर लेता है, लेकिन कुछ Proteins हमें हमारे आहार से प्राप्त होते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति Kilogram वजन के अनुपात से मनुष्य को 1 gm Proteins की आवश्कता होती हैं अर्थात यदि वजन 50 Kg है तो नित्य 50 gm Proteins की आवश्यकता होती है।

Proteins शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन में मौजूद पाया जाता है। चिकित्सा वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि शरीर में जीवनीय तत्वों की कमी न हो तो शरीर रोगों से बचा रहता है। संक्रमणजन्य रोगों से बचाव के लिए Proteins की अधिक आवश्यकता होती है।

Proteins के स्रोत क्या है ?
स्त्रोत के हिसाब से Proteins दो प्रकार का होता है :-
(1) पशुओं से प्राप्त होने वाला
अण्डे की सफेदी, दूध, दही, पनीर, मछली, मांस, यकृत (Liver), वृक्कों (Kidney) और दिमाग (Protein) से सर्वोत्तम किस्म की Proteins प्राप्त होती है।

(2) फल, सब्जियों तथा अनाज आदि से मिलने वाला
दाले, सोयाबीन, फलियाँ (मटर, बीन्स, मूंगफली इत्यादि), सुकेमेवे जैसे बदाम, Flax seed, सूर्यफुल बीज, तरबूज के बीज, ब्रॉक्ली, हरी सब्जियों और अनाजों में दूसरे किस्म का Proteins पाया जाता है।
आप डॉक्टर कि सलाह अनुसार बाजार में उपलब्ध Proteins Supplement का भी उपयोग कर सकते है।

Proteins हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण क्यों है ?

शरीर में Proteins कि आवश्यकता हर आयु और हर अवस्था में होती है। Proteins कि आवश्यकता और उसके महत्व संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी है।
•शरीर कि प्रत्येक रासायनिक प्रक्रिया को पूरा करने के लिए और शरीर के विकास तथा मरम्म्त के लिए Proteins कि आवश्यकता होती है।
•Proteins हमारे शरीर कि निर्माणकारी घटक है। विकास, मांसपेशियों कि सेहत, नयी कोशिकाओ का निर्माण और इनकी मरम्मत कार्य के लिए Proteins कि जरुरत पड़ती है। Tendons और Ligaments का बड़ा हिस्सा Proteins से बनता है। Proteins हड्डियों को भी मजबूत और स्वस्थ रखते है, बालो को पोषण देते है, नाखुनो को मजबूत बनाते है और त्वचा कि चमक को बनाए रखते है। 
•Hormones : Proteins कुछ hormones के निर्माण में मदद करते है जैसे कि Insulin जो कि रक्त में Sugar कि मात्रा का नियंत्रण करता है। इसके साथ ही Thyroid hormone कि स्वस्थ गतिविधि में भी मदद करता है।
जिवानुरोधी / Antibodies : Proteins शरीर में Antibodies का निर्माण करते है जो Bacteria और Virus आदि कीटाणुओं से हमारी सुरक्षा कर शरीर कि रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाते है।  
बचपन / Childhood : बचपन में बच्चों को Proteins की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि उनका शरीर विकास कर रहा होता है।
बुढ़ापा / Old Age : बुढ़ापे में भी शरीर को Proteins की अत्यधिक आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक ऐसी अवस्था होती है जब Proteins जल्दी हजम हो जाता है। इस आयु में यदि Proteins की मात्रा घट गई तो जीवन शक्ति का अभाव हो जाता है। इसलिए इस अवस्था में खाद्य पदार्थों में Proteins की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।
गर्भावस्था / Pregnancy : गर्भावस्था में मां के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे को भी Proteins की अत्यधिक आवश्यकता होती है। Proteins गर्भ में पल रहे बच्चे की शरीर के विकास में जरूरी होते है। मां के स्वास्थ्य के लिए भी Proteins जरूरी है। Proteins की कमी इस अवस्था में मां और गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। अत: यह अति आवश्यक है कि गर्भावस्था में माता को Proteins युक्त खाद्य अधिक से अधिक प्रयोग कराया जाए।
स्तनपान / Breastfeeding : जिस प्रकार गर्भावस्था में माता को Proteins की अधिक आवश्यकता होती है। ठीक उसी प्रकार दूध पिलाने वाली माता को भी Proteins की आवश्यकता होती है। इस अवस्था में Proteins की कमी मां और बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। दूध पिलाने वाली माताओं और गर्भवती स्त्री को दोनों प्रकार के Proteins देना चाहिए।
रोगी / Patient : रोगों के बाद रोगी के शरीर की शक्ति क्षीण हो चुकी होती है। इस अवस्था में रोगी दीन-हीन व असहाय हो जाता है। रोगी के शरीर के तंतु, कोशिकाएं आदि काफी टूट-फूट चुके होते हैं अत: उन्हें नई जीवन शक्ति और मजबूती प्रदान करने की खातिर अधिकाधिक दोनों प्रकार के Proteins देने चाहिए ताकि शरीर की खोई हुई शक्ति को पुन: प्राप्त कर सके। जिन लोगों को रोगों के बाद या operation के बाद उचित खाद्य Proteins नहीं मिलते उनके पुन: रोगी हो जाने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
खिलाडी / Athlete : सक्रिय लोगो और खिलाडिओं में स्थिर जीवनशैली वाले लोगो के मुकाबले ज्यादा Proteins कि जरुरत होती है। खिलाडी, Weight-lifters, Bodybuilders और ऐसे अन्य लोगो को ताकत, मांसपेशिया और कोशिकाओ के निर्माण और मरम्म्त के लिए तथा बेहतर प्रदर्शन के लिए Proteins कि जरुरत होती है। दिन में कम से कम दो बार Proteins युक्त आहार लेना अच्छा होता है। शरीर को सही मात्रा में आवश्यक Proteins देने के लिए कई तरह कि चीजे खाना जरुरी होता है। स्वस्थ, तदूरस्त और निरोगी जीवन जीने के लिए संतुलित और विविधतापूर्ण आहार ले।

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